Sunday, September 28, 2014

Painting of Maa Shailputri


दुर्गा पूजा के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा-वंदना की जाती है...

मां दुर्गा की पहली स्वरूपा और शैलराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री के पूजा के साथ ही दुर्गा पूजा आरम्भ हो जाता है. नवरात्र पूजन के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ इनकी ही पूजा और उपासना की जाती है. माता शैलपुत्री का वाहन वृषभ है, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प रहता है. नवरात्र के इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं और यहीं से उनकी योग साधना प्रारंभ होता है. पौराणिक कथानुसार मां शैलपुत्री अपने पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष के घर कन्या रूप में उत्पन्न हुई थी. उस समय माता का नाम सती था और इनका विवाह भगवान् शंकर से हुआ था. एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ आरम्भ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया परन्तु भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया. अपने मां और बहनों से मिलने को आतुर मां सती बिना निमंत्रण के ही जब पिता के घर पहुंची तो उन्हें वहां अपने और भोलेनाथ के प्रति तिरस्कार से भरा भाव मिला. मां सती इस अपमान को सहन नहीं कर सकी और वहीं योगाग्नि द्वारा खुद को जलाकर भस्म कर दिया और अगले जन्म में शैलराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया. शैलराज हिमालय के घर जन्म लेने के कारण मां दुर्गा के इस प्रथम स्वरुप को शैल पुत्री कहा जाता है. शैलपुत्री देवी समस्त शक्तियों की स्वामिनी हैं।
English

The first form of Maa Durga is Shailputri, who was born to the King of Mountains. “Shail” means mountain and “putri” means daughter. So she is called Shailputri – the daughter of mountain. Maa Shailputri is worshipped on the first day of Navratri. The image of Maa Shailputri is a divine lady, holding atrishul in her right hand and lotus flower in her left hand. She rides on Nandi, a bull.

Maa Shailputri is the goddess of the muladhara. Without energizing the muladhara chakra one doesn’t have the power and strength to do anything worthwhile. It is said that one should worship Maa Shailputri to make full use of the precious human life. So, This Avtar of Goddess Durga is worshipped on the first day of Navratri.

कवच 

ओमकार: में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥
श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।
हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥
फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।
मां दुर्गा का द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी

Mantra

वंदे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम |
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्‌ ||

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