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Friday, October 10, 2014

Statue of Shree Sai Baba


श्री अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक राजा धीरज योगी राज पर्ब्रम्ह परमेश्वर श्री सचिदानंद सदगुरु साई नाथ महाराज की जय.

Thursday, February 7, 2013

Statue of Shree Sai Baba


ज़िन्दगी जब तक रहेगी फुर्सत नहीं मिलेगी काम से...
कुछ समय ऐसा निकालो प्रेम करलो साईं राम से....

Statue of Shree Sai Baba


Statue of Shree Sai Baba

Statue of Shree Sai Baba



Statue of Shree Sai Baba

Wednesday, February 6, 2013

Painting of Shree Sai Baba


साईं बाबा पानी से फिर दीप जला दो,,,, साईं 
सबके मन मंदिर में प्यार जगा दो,,,,, साईं 
सबके घर अंगान को महका दो,,,,,, साईं 
श्रधा सबुरी का दान दे दो,,,,,,,,,,,,,­, साईं 
दीपक पर भी कृपा कर दो,,,,,,,,,,, साईं 
भूखा रहे न कोई भी प्राणी,,,,,,,,,­ साईं 
सबकी बाबा प्यास बुझा दो,,,,,,,,,,, साईं 
अन्न धन से सबकी झोली भरदो,,,, साईं 
सुखी रहे सभी जगत में,,,,,,,,,,,,­,,,,, साईं 

हर एक प्राणी पर अपनी करुना बरसा दो साईं

Statue of Shree Sai Baba


श्री साईं वचन - " तुम कुछ भी करो , कहीं भी रहो , हमेशा यह बात अपने मन में रखो कि मेरी नज़रों से तुम कभी भी छिपे नहीं हो "

Wednesday, September 19, 2012

Tuesday, September 11, 2012

Statue of Shree Sai Baba


साईँ पर करे जो अटूट विश्वास...
साईँ रहते हमेशा उनके पास...

पूरी करते हैँ साईँ हर आस...
पूजा हो नमाज़ हो या हो अरदास...

हर रुप मेँ है साईँ का ही वास...
साईँ के लिए उनके सभी भक्त सबसे खास

Thursday, August 2, 2012

Original Photo of Shri Saibaba (Coloured using Photoshop)


Original Photo of Shri Saibaba (coloured using Photoshop)

श्री शिर्डी साईं बाबा


श्री साईं बाबा के नाम से कोई विरला व्यक्ति ही होगा जो उनसे परिचित न हो| वे कलयुग के महान अवतार थे| उन्होंने किस देश, जाति, धार्मिक परिवार व कुल में जन्म लिया, यह कोई नहीं जानता| उनके पूर्वज कौन थे, उनके पिता व माता कौन थी, यह कोई नहीं जानता|
 
हेमातपंड ने साईं बाबा से उनके जीवन के विषय में जानने की इच्छा प्रगट की थी| पर उन्हें बाबा जी से कोई जानकारी नहीं मिल सकी| बाबा ने किसी को भी अपने विषय में  नहीं बताया था| एक बार जब बाबा म्हालसापति के साथ एकांत में बैठे थे तो उन्होंने अपनी जन्म तिथि बताई| उन्होंने कागज के एक पुर्जे पर बाबा की जन्म तिथि लिख कर रख दी| वह कागज का पुर्जा हेमातपंड के हाथ लग गया| इसी पुर्जे के आधार पर वह बाबा की जीवनी लिखने लगे| पुर्जे के आधार पर बाबा का जन्म 27 सितम्बर 1838 ईस्वी को हुआ था| पर बाबा के जीवन की वास्तविकता को कोई नहीं जानता| 

शिरडी गाँव की वृद्धा जो नाना चोपदार की माँ थी उसके अनुसार एक युवा जो अत्यन्त सुन्दर नीम वृक्ष के नीचे समाधि में लीन दिखाई पड़ा| अति अल्प आयु में बालक को कठोर तपस्या में देख कर लोग आश्चर्य चकित थे| तपस्या में लीन बालक को सर्दी-गर्मी व वर्षा की जरा भी चिंता न थी| आत्मसंयमी बालक के दर्शन करने के लिए अपार जन समूह उमड़ने लगा|

यह अदभुत बालक दिन में किसी का साथ नहीं करता था| उसे रात्रि के सुनसान वातावरण में कोई भय नहीं सताता था| "यह बालक कहाँ से आया था?" यह प्रश्न सबको व्याकुल कर देता था| दिखने में वह बालक बहुत सुन्दर था| जो उसे एक बार देख लेता उसे बार बार देखने की इच्छा होती| वे इस बात से हैरान थे कि यह सुन्दर रूपवान बालक दिन रात खुले आकाश के नीचे कैसे रहता है| वह प्रेम और वैराग्य की साक्षात् मूर्ति दिखाई पड़ते थे| 

उन्हें अपने मान अपमान की कभी चिंता नहीं सताती थी| वे साधारण मनुष्यों के साथ मिलकर रहते थे, न्रत्य देखते, गजल व कवाली सुनते हुए अपना सिर हिलाकर उनकी प्रशंसा भी करते| इतना सब कुछ होते हुए भी उनकी समाधि भंग न होती| जब दुनिया जागती थी तब वह सोते थे, जब दुनिया सोती थी तब वह जागते थे| बाबा ने स्वयं को कभी भगवान नहीं माना| वह प्रत्येक चमत्कार को भगवान का वरदान मानते| सुख - दुःख उनपर कोई प्रभाव न डालते थे| संतो का कार्य करने का ढंग अलग ही होता है| कहने को साईं बाबा एक जगह निवास करते थे पर उन्हें विश्व एक समस्त व्यवहारों व व्यापारों का पूर्ण ज्ञान था|

Original Photo of Shri Saibaba

Original Photo of Shri Saibaba

Original Sai Baba Photo in 1906 with Parrot

Original Sai Baba Photo in 1906 with Parrot

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