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Tuesday, December 23, 2014
Monday, December 15, 2014
Painting of Lord Shiva
आई है कैलाश पर्वत की ओर से ढोलक शंखनाद की
आवाज आई है । जै अघोर नाथ । जै शमशान नाथ
हर हर महादेव जी की जै घोष किसने लगाई हैं । देखो
देखो भूत भावन ओढदानी महाकाल बाबा की बारात
आई है । नन्दी जी के ललाट पर सूर्य चांद सितारों ने
हाजिरी लगाई है । मेरे बाबा महाकाल की बारात आई
है । बिना मुण्ड वाले कंकालो ,भूत प्रेतो ने कया धमाल
चौकड मचाई है । आगे आगे नाचे भैरव नाथ जी शिव
पयारा बम बम बम पी मदिरा का का भर भर पयाला ।
देवियो संग सजी काले विकराल रूप में लाल नेत्रों वाली
मां काल रात्रि भी नाचती आई । देखो मुनिवरो देखो सन्तो
महाकाल बाबा की बारात आई है । तीनों लोक में आज
खुशी की लहर है छाई । शमशान वासी मंलग नाथ जी की
बारात आई है । देवताओं ने आज लाख लाख खुशियां
मनाई है । डमरू नाथ जी की, नाथो के नाथ जी की बारात
आई है । जै शिव जै महाकाल जै काशी विश्वनाथ जी की
बारात आई है ॥ बोलिये शिव नाम महा कलयाण जी की जै॥
Painting of Lord Vishnu
तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो , तुम्ही बन्धु सखा तुम्ही हो ।
जो खिल सके ना वो फूल हम है, तुम्हारे चरणों की धूल हम है ॥
दया की नजरों सदा ही रखना, तुम्ही हो बन्धु सखा तुम्ही हो ।
तुम्ही हो साथी तुम्ही सहारे, कोई ना अपना सिवा तुम्हारे ।।
तुम्ही हो नैया तुम्ही खवैया, तुम्ही हो बन्धु सखा तुम्ही हो ।
ये तन जो मेरा पानी का बुलबला, जिसे तुम्ही बनाते हो हरि ।।
तुम्ही मिटाते हो, तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो बन्धु सखा तुम्ही हो।।
Tuesday, November 4, 2014
Thursday, October 30, 2014
Thursday, October 16, 2014
Tuesday, October 14, 2014
Painting of Shree Hanuman
परमपिता परमेश्वर से विनती है कि; आपके जीवन में सुख, समृद्धि, धन, यश प्रदान करें और आपके जीवन को सुंदर और सुखमय बनाए।
न मां कर्माणि लिम्पन्ति न मे कर्मफले स्पृहा ।
इति मां योऽभिजानाति कर्मभिर्न स बध्यते ॥
– श्रीमद्भगवद
गीता (४: १४)
भावार्थ : कर्मों के फल में मेरी स्पृहा नहीं है, इसलिए मुझे कर्म
लिप्त नहीं करते- इस प्रकार जो मुझे तत्व से जान लेता है, वह
भी कर्मों से नहीं बँधता॥
Saturday, October 11, 2014
Friday, October 10, 2014
Thursday, October 2, 2014
Sunday, September 28, 2014
Painting of Maa Chandraghanta
भगवती दुर्गा अपने तीसरे स्वरूप में चन्द्रघण्टा नाम से जानी जाती हैं। नवरात्र के तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन किया जाता है। इनका रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचन्द्र है। इसी कारण से इन्हें चन्द्रघंटा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला हैं। इनके दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में खड्ग, बाण अस्त्र – शस्त्र आदि विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है। इनके घंटे सी भयानक चण्ड ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य-राक्षस सदैव प्रकम्पित रहते हैं। नवरात्रे के दुर्गा-उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्याधिक महत्व है।
मां का यह रूप पाप-ताप एवं समस्त विघ्न बाधाओं से मुक्ति प्रदान करता है और परम शांति दायक एवं कल्याणकारी है। मां सिंह पर सवार होकर मानो युद्ध के लिए उद्यत दिखती हैं। मां की घंटे की तरह प्रचण्ड ध्वनि से असुर सदैव भयभीत रहते हैं। तीसरे दिन की पूजा अर्चना में मां चंद्रघंटा का स्मरण करते हुए साधकजन अपना मन मणिपुर चक्र में स्थित करते हैं। प्रेत बाधा आदि समस्याओं से भी मां साधक की रक्षा करती हैं।
नवरात्र का तीसरा दिन भगवती चंद्रघण्टा की आराधना का दिन है। श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन मणिपुर चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं।
English
Maa Chandraghanta is the third manifestation of Devi Durga and is worshipped on the 3rd of Navratri. Since she has a Chandra or half moon, in the shape of a Ghanta (bell), on her forehead, she is addressed as Chandraghanta. Maa Chandraghanta has three eyes and ten hands holding ten types of swords, weapons and arrows. She establishes justice and gives Her devotees the courage and strength to fight challenges.
Her appearance may be of a source of power. Maa also helps her devotee in attending spiritual enlightenment. She gives us the strength the keep the negative energy away and repels all the troubles from our life.
We should need to follow simple rituals to worship Goddess Chandraghanta. We should first worship all the Gods, Goddesses and Planets in the Kalash and then offer prayer to Lord Ganesha and Kartikeya and Goddess Saraswati, Lakshmi, Vijaya, Jaya – the family members of Goddess Durga.
Mantra
पिण्डज प्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्र कैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्र घंष्टेति विश्रुता ||
कवच
रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धारं बिना होमं।
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।
न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥
Painting of Maa Shailputri
दुर्गा पूजा के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा-वंदना की जाती है...
मां दुर्गा की पहली स्वरूपा और शैलराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री के पूजा के साथ ही दुर्गा पूजा आरम्भ हो जाता है. नवरात्र पूजन के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ इनकी ही पूजा और उपासना की जाती है. माता शैलपुत्री का वाहन वृषभ है, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प रहता है. नवरात्र के इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं और यहीं से उनकी योग साधना प्रारंभ होता है. पौराणिक कथानुसार मां शैलपुत्री अपने पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष के घर कन्या रूप में उत्पन्न हुई थी. उस समय माता का नाम सती था और इनका विवाह भगवान् शंकर से हुआ था. एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ आरम्भ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया परन्तु भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया. अपने मां और बहनों से मिलने को आतुर मां सती बिना निमंत्रण के ही जब पिता के घर पहुंची तो उन्हें वहां अपने और भोलेनाथ के प्रति तिरस्कार से भरा भाव मिला. मां सती इस अपमान को सहन नहीं कर सकी और वहीं योगाग्नि द्वारा खुद को जलाकर भस्म कर दिया और अगले जन्म में शैलराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया. शैलराज हिमालय के घर जन्म लेने के कारण मां दुर्गा के इस प्रथम स्वरुप को शैल पुत्री कहा जाता है. शैलपुत्री देवी समस्त शक्तियों की स्वामिनी हैं।
English
The first form of Maa Durga is Shailputri, who was born to the King of Mountains. “Shail” means mountain and “putri” means daughter. So she is called Shailputri – the daughter of mountain. Maa Shailputri is worshipped on the first day of Navratri. The image of Maa Shailputri is a divine lady, holding atrishul in her right hand and lotus flower in her left hand. She rides on Nandi, a bull.
Maa Shailputri is the goddess of the muladhara. Without energizing the muladhara chakra one doesn’t have the power and strength to do anything worthwhile. It is said that one should worship Maa Shailputri to make full use of the precious human life. So, This Avtar of Goddess Durga is worshipped on the first day of Navratri.
कवच
ओमकार: में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥
श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।
हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥
फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।
मां दुर्गा का द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी
Mantra
वंदे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम |
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् ||
Painting of Maa Kushmanda
माँ दुर्गा की 9 शक्तियों की चौथा स्वरूप माँ कूष्मांडा देवी की पूजा नवरात्र के चौथे दिन की जाती है
Maa Kushmanda is worhipped on the 4th day of Navratri. She is considered the creator of the universe. This Swarup of Maa Durga is the source of all. Since she created the universe, she is called Adiswarupand Adishakti.
She has eights hands in which she holds Kamandul, bow, arrow, a jar of nectar, discus, mace and a lotus, and in one hand she holds a rosary which blesses her devotees with the Ashtasiddhis and Navniddhis. She is also known as Ashtabhuja. Maa resides in the core of the Sun and thus controls the Surya Lok.
Maa Kushmanda represents Anahata Chakra in spiritual practice. The blessings of Maa Kushmanda help to improve our health and wealth. Maa brings light into darkness and establishes harmony in our life.
Mantra
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
Tuesday, September 9, 2014
Painting of Shree Hanuman
Have a great day by not being too hard on yourself or others. Everything can not be in anyone’s control. Just be at your best and remember God is always with his kind hearted and true souls.
दुर्बलस्य बलं राजा बालानां रोदनं बलम् ।
बलं मूर्खस्य मौनित्वं चौराणामनृतं बलम् ॥
अर्थ : दुर्बलों का बल राजा है; बच्चों का बल रुदन है;
मूर्खो का बल मौन है; और चोरोंका बल असत्य है ।